Role of Estimator

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कंस्ट्रक्शन में एस्टिमेटिंग: खर्च और रिसोर्सेज का संतुलन

कंस्ट्रक्शन की दुनिया में एस्टिमेटिंग हर प्रोजेक्ट का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो रिसोर्सेज, खर्च और प्रोजेक्ट की feasibility को निर्धारित करता है। एस्टिमेटिंग एक प्रक्रिया है जिसमें किसी कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए आवश्यक सामग्री (materials), श्रम (labor), और उपकरणों (equipment) की मात्रा और उनकी लागत का अनुमान लगाया जाता है। एक सटीक एस्टिमेट से कंपनी को आत्मविश्वास के साथ बोली (bid) लगाने का मौका मिलता है ताकि वे प्रोजेक्ट को बजट में और मुनाफे में पूरा कर सकें। लेकिन अगर एस्टिमेटिंग में गलती हो जाए तो यह वित्तीय नुकसान का कारण बन सकती है, चाहे वो ज्यादा बोली के कारण हो या फिर कम बोली लगाकर।

अमेरिकन इंस्टिट्यूट ऑफ आर्किटेक्ट्स (AIA) के अनुसार, कंस्ट्रक्शन कॉन्ट्रैक्ट में “वर्क” को सर्विस, मटेरियल और लेबर की रूप में परिभाषित किया गया है जो कॉन्ट्रैक्ट डॉक्युमेंट्स में दिए गए हैं। इसे अक्सर scope of work कहा जाता है, जिसमें कॉन्ट्रैक्टर की सभी जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए हर एक जरुरी चीज़ शामिल होती है। एस्टिमेटिंग के जरिए ही यह तय किया जाता है कि प्रोजेक्ट के लिए किस मात्रा में और किस कीमत पर सामग्री, श्रम, और उपकरण चाहिए होंगे।

कंस्ट्रक्शन कंपनी ऑपरेशन में एस्टिमेटिंग की भूमिका

किसी भी कंस्ट्रक्शन कंपनी में सफलता काफी हद तक एस्टिमेट्स की सटीकता पर निर्भर करती है। यदि एस्टिमेट बहुत ऊँचा है, तो कंपनी लगातार बोली हार सकती है और इस कारण प्रोजेक्ट्स की कमी के कारण आर्थिक संकट में आ सकती है। दूसरी ओर, यदि एस्टिमेट कम होता है तो कम कीमत पर प्रोजेक्ट लेना नुकसानदायक साबित हो सकता है और कंपनी की वित्तीय स्थिरता पर खतरा आ सकता है। इसीलिए, एस्टिमेटर (estimator) को एक नाजुक संतुलन बनाकर रखना होता है, जहां वह प्रतिस्पर्धा में भी टिके और लाभकारी भी रहे।

एस्टिमेटर का रोल: स्पेशलाइजेशन और स्किल्स

एस्टिमेटर वह व्यक्ति होता है जो एस्टिमेट्स को तैयार करता है। बड़ी कंपनियों में यह काम पूरे एस्टिमेटिंग विभाग के माध्यम से किया जाता है, जबकि छोटी कंपनियों में एक एस्टिमेटर, प्रोजेक्ट मैनेजर, या कंपनी का मालिक भी यह कार्य कर सकता है। कंपनी के आकार से परे, एस्टिमेटर का रोल काफी अहम होता है। एक अच्छा एस्टिमेटर बनने के लिए कुछ खास स्किल्स की आवश्यकता होती है:

  1. स्पेशलाइजेशन और कंस्ट्रक्शन की समझ: कंस्ट्रक्शन एक विस्तृत क्षेत्र है जिसमें अलग-अलग तरीके, सामग्री, और स्किल्ड लेबर होते हैं। एस्टिमेटर अक्सर कुछ विशेष क्षेत्रों में स्पेशलाइज होते हैं जैसे कि रेसिडेंशियल, हाईवे, या कमर्शियल कंस्ट्रक्शन। यह विशेषज्ञता उन्हें अपने फील्ड में अधिक सटीक लागत प्रोजेक्ट करने में मदद करती है।
  2. गणितीय सटीकता और ब्लूप्रिंट की समझ: एस्टिमेटिंग में गणनाएं करना बेहद जरुरी होता है। एस्टिमेटर को ब्लूप्रिंट पढ़ना आना चाहिए, आर्किटेक्ट या इंजीनियर के डिजाइन को समझना चाहिए और गणित में मजबूत होना चाहिए ताकि कोई गलती न हो।
  3. मार्केट की जानकारी: राज्य या क्षेत्र के अनुसार बाजार भिन्न होते हैं। ऐसे में एस्टिमेटर के लिए जिस बाजार में वे काम कर रहे हैं उसकी जानकारी होना जरुरी होता है। इस स्थानीय विशेषज्ञता से वे न केवल सही अनुमान लगा सकते हैं बल्कि लागत के हिसाब से मार्केट की चुनौतियों को भी समझ सकते हैं।

एस्टिमेटिंग: प्रतिस्पर्धा और लाभ के बीच संतुलन

किसी भी एस्टिमेटर का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि एस्टिमेट न केवल सही हो बल्कि लाभकारी भी हो। एस्टिमेट को तैयार करते समय सभी जरुरी लागतें जैसे सामग्री, श्रम और उपकरण के साथ उचित लाभ को शामिल करना जरुरी होता है। एस्टिमेटिंग एक कला और विज्ञान दोनों ही है, और एक कुशल एस्टिमेटर के हाथों में यह प्रक्रिया कंपनी को सफलता, विकास और लाभ दिलाने में सहायक होती है।


Role of Estimator
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एस्टिमेटिंग: कला और अभ्यास

एस्टिमेटिंग में कई अनिश्चितताएं होती हैं, इसीलिए यह एक कला की तरह है। जैसे किसी भी कला को सीखने के लिए अभ्यास की आवश्यकता होती है, वैसे ही एक कुशल एस्टिमेटर बनने के लिए भी अभ्यास जरूरी है। लेकिन अभ्यास के साथ-साथ सही तकनीकों का ज्ञान होना भी महत्वपूर्ण है। यदि गलत तरीके से अभ्यास किया जाए, तो वह खराब आदतें पक्की कर सकता है। सही एस्टिमेटिंग स्किल्स सीखने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:

1. हर चैप्टर को ध्यान से पढ़ें

हर चैप्टर में एस्टिमेटिंग के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को समझाया गया है। प्रत्येक कांसेप्ट को अच्छे से समझना बेहद जरुरी है क्योंकि यह वास्तविक परियोजनाओं के लिए आवश्यक होगा।

2. उदाहरण समस्याओं की गणना की पुष्टि करें

उदाहरण समस्याओं को हल करते समय, कैल्कुलेटर का उपयोग करके गणना की पुष्टि करें। यह प्रक्रिया आपको अनुमान सिद्धांतों को बेहतर तरीके से समझने में मदद करेगी।

3. पाँच महत्वपूर्ण टेक-ऑफ विधियाँ सीखें

चैप्टर 4 में पांच प्रमुख टेक-ऑफ विधियाँ बताई गई हैं – गिने जाने वाले आइटम्स, लीनियर कंपोनेंट्स, शीट और रोल गुड्स, वॉल्यूमेट्रिक गुड्स, और क्वांटिटी-फ्रॉम-क्वांटिटी गुड्स। इन्हें पूरी तरह से समझें और इनकी पूरी जानकारी रखें।

4. प्रोजेक्ट ड्रॉइंग्स के साथ प्रैक्टिस करें

यदि एस्टिमेटिंग में दिए गए उदाहरणों में ड्रॉइंग्स (जैसे कि गेराज की ड्रॉइंग्स) शामिल हैं, तो खुद से प्रैक्टिस करें। यह आपको मटेरियल क्वांटिटी के बारे में सही ढंग से अनुमान लगाने की क्षमता देगा।

5. कंप्यूटर आधारित अभ्यास पूरा करें

मॉडर्न एस्टिमेटिंग में डिजिटल टूल्स का इस्तेमाल होता है। कंप्यूटर अभ्यास को पूरा करें और एक्सेल जैसी सॉफ्टवेयर प्रैक्टिस को कस्टमाइज करें ताकि आप अपनी एस्टिमेटिंग की जरूरतों के अनुसार इसे अपने अनुकूल बना सकें।

6. हर चैप्टर के अंत में दिए गए प्रॉब्लम्स को हल करें

इन समस्याओं को हल करने से आपकी अभ्यास में सुधार होगा। यदि संभव हो तो किसी अनुभवी एस्टिमेटर से अपनी सॉल्यूशन्स की समीक्षा कराएं।

7. कंप्लीट प्रोजेक्ट एस्टिमेट्स तैयार करें

बुक में दिए गए प्रोजेक्ट्स (जैसे जॉनसन रेजिडेंस और वेस्ट स्ट्रीट वीडियो) के लिए संपूर्ण एस्टिमेट तैयार करें और इसका मूल्यांकन कराएं। इससे वास्तविक दुनिया के प्रोजेक्ट्स में आपकी कुशलता बढ़ेगी।

8. प्रैक्टिकल अनुभव प्राप्त करें

प्रैक्टिकल एक्सपोज़र बेहद महत्वपूर्ण है। जितना हो सके, अनुभवी एस्टिमेटर्स की सहायता करें, उनके साथ प्रश्न पूछें और उनके तरीके सीखें।


लगातार सीखने की प्रतिबद्धता

एस्टिमेटिंग का क्षेत्र लगातार तकनीक, सामग्री और बाजार की मांगों के साथ बदलता रहता है। जिस तरह किसी भी कला को सीखने के लिए समय और समर्पण की आवश्यकता होती है, उसी तरह एक अच्छे एस्टिमेटर बनने के लिए भी समय, धैर्य और समर्पण की जरूरत होती है। अध्ययन, अभ्यास, और सतत सुधार के साथ, आप एक सफल एस्टिमेटर बन सकते हैं, जो सटीकता, प्रभावशीलता, और अनुकूलन क्षमता के साथ इस रोमांचक पेशे में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकता है।